एक ऐसा मन्दिर जहाँ भगवान को चिट्ठियाँ भेजी जाती है


चितई मन्दिर -

यदि आप उत्तराखंड गये हो , तो अपने निश्चित ही चितई मन्दिर का नाम सुना होगा, और यदि नहीं भी गए है तो आज हम आपको ले चलते है , एक ऐसे मन्दिर जिसे घंटियों और चिट्ठियों का मंदिर कहा जाता है, जहाँ मुरादे पूरी करने के लिए भगवान जी को चिठियाँ भेजी जाती है , और वो मुरादे पूरी हो जाने पर लोग घंटियाँ चढ़ाई जाती है, पहले के समय में जब बलि प्रथा प्रचलित थी , तब लोग मुरादे पूरी हो जाने पर बकरी की बलि दिया करते थे|


कैसे पहुचे - चितई मन्दिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा शहर में पहाड़ो की वादियों के बीच स्थित है | यदि आप उत्तराखंड से बाहर से इस मंदिर के दर्शन के लिए जा रहे है तो आपको दिल्ली से हल्द्वानी शहर के लिए बस पकड़नी होगी, जो आपको लगभग पांच घंटे में हल्द्वानी पंहुचा देती है , इसके बाद हल्द्वानी से आपको अल्मोड़ा के लिए बस पकड़नी होगी जो किसी भी समय आपको मिल जाती है, हल्द्वानी से तीन से चार घंटे में अल्मोड़ा पहुच कर, स्टेशन से किसी छोटी टैक्सी या जीप से आप पन्द्रह से बीस मिनट में आप मन्दिर पहुच सकते है| शहर से केवल कुछ ही दुरी पर स्थित यह मन्दिर , और उसके रस्ते आपका मन मोह लेंगे,मन्दिर में दूर से ही आती हुई घंटियों की आवाजे ,मन को असीम शांति की ओर ले जाती है|मंदिर में घंटियों की संख्या हजारो में है|

इस मन्दिर में लोग दूर-दूर से अपनी मुरादे लेकर आते है, कहते है जो कहीं पूरा नही होता ,इस मंदिर में मांगने पर पूरा हो जाता है, यह मन्दिर गोलू देवता का मन्दिर है जिन्हें न्याय का देवता माना जाता है और कहते है की वे कभी भी अपने छेत्र में अन्याय नही होने देते , वहाँ के लोग उन्हें अपना रक्षक मानते है| वहां किसी भी घर में यदि शादी हो तो पहला न्योता गोलू देवता को ही भेजा जाता है, और नवदम्पति सबसे पहले मंदिर में दर्शन करने आते है, लोग यहाँ ख़ुशी में भी घंटियाँ चढाते है और मुरादे पूरी होने पर भी , यहाँ आपको हर साईज की घंटियाँ मिल जाएँगी |

   

लोग अपनी मुरदे पूरी करने के लिए स्टाम्प पेपर पर या कोरे कागज पर मुराद लिखकर मन्दिर में गोलू देवता के सामने रख देते है, उर उसकी पूजा करके मन्दिर परिसर में टाक देते है, मन्दिर परिसर आपको घंटियों और चिठ्ठियों से भरा हुआ मिलेगा, और जब मुराद पूरी हो जाती है तो अपनी ख़ुशी से मन्दिर में घंटी चढाते है , पहले लोग ख़ुशी से बकरे की बलि दिया करते थे, लेकिन अब बली प्रथा बंद होने पर केवल घंटी चढाते है|

तो जब भी उत्तराखंड जाए तो घंटियों और चिट्ठियों के इस मन्दिर के दर्शन करने जरुर जाए|

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